Mandi News : सोयाबीन बेचने की आखिरी तारीख बढ़ी, अब इस दिन तक एमएसपी पर बेचें
Mandi News : सोयाबीन बेचने की आखिरी तारीख बढ़ी, अब इस दिन तक एमएसपी पर बेचें
सरकार ने सोयाबीन खरीद की अंतिम तिथि 31 दिसंबर 2024 से बढ़ाकर 15 जनवरी 2025 कर दी है। इस फैसले से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अधिक समय मिलेगा। मूल्य समर्थन योजना (PSS) के तहत नेफेड और एनसीसीएफ जैसी एजेंसियां सोयाबीन की खरीद करेंगी।
यह भी जरूर पढ़ें – कपास के दाम MSP से ऊपर, जानें बढ़ती कीमतों के प्रमुख कारण और ताजा मंडी रेट
देशभर में हो रही सोयाबीन खरीदी
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात और तेलंगाना में सरकारी एजेंसियां सोयाबीन खरीद का कार्य कर रही हैं। अब तक 4.12 लाख किसानों से लगभग 10 लाख टन सोयाबीन खरीदी जा चुकी है।
4,892 रुपये प्रति क्विंटल है सोयाबीन की एमएसपी
सरकार ने 2024-25 सीजन के लिए सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4,892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है। हालांकि, मंडियों में इसका औसत भाव लगभग 4,300 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया।
यहां भी जरूर पड़े – 2025 में सरसों के दाम ₹6700 के पार, जानें आज के ताज़ा भाव
कीमतों में गिरावट के कारण
सोयाबीन के दामों में गिरावट का मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर बंपर उत्पादन है। सप्लाई अधिक होने से घरेलू बाजार में कीमतें कम हो रही हैं।
- सोयामील की कीमतें भी घटीं:
इंदौर में सोयामील की कीमतें घटकर 2,950 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गईं, जो वर्ष की शुरुआत में 4,150 रुपये प्रति क्विंटल थीं। - तेल उत्पादन और खपत:
सोयाबीन से तेल निकालने के बाद बची खली का उपयोग पशु चारा और पोल्ट्री फीड में होता है।
किसानों को राहत देने के प्रयास
सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाकर घरेलू उत्पादकों को समर्थन देने की कोशिश की है। 14 सितंबर से कच्चे पाम, सोयाबीन और सूरजमुखी तेलों पर आयात शुल्क 5.5% से बढ़ाकर 27.5% कर दिया गया।
तिलहन मिशन का उद्देश्य
सरकार तिलहन और दलहन फसलों के लिए मिशन चला रही है ताकि उत्पादन बढ़ाया जा सके। भारत में हर साल 24-25 मीट्रिक टन खाद्य तेल की खपत होती है, जिसमें से लगभग 58% आयात किया जाता है।
सरकार का यह कदम क्यों महत्वपूर्ण?
इस फैसले से किसानों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकता है। 15 जनवरी 2025 तक तिथि बढ़ाने से उन किसानों को भी राहत मिलेगी जो अभी तक अपनी फसल नहीं बेच सके हैं।
यह भी जरूर पड़े – 90 दिनों की मेहनत, 3 लाख का मुनाफा इस फसल से किसानों की टेंशन होगी दूर, मार्केट में है जबरदस्त डिमांड
निष्कर्ष
सरकार के इस निर्णय से किसानों को आर्थिक लाभ मिलने की उम्मीद है। साथ ही, आयात शुल्क बढ़ाने जैसे प्रयास घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहन देंगे। किसानों को सलाह है कि वे अपनी उपज को अच्छे भाव पर बेचने के लिए बाजार की जानकारी पर नजर रखें।