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Amezing Farming: ड्राइवर से किसान बने ने हर साल 18 लाख रुपये की कमाई की, बस इस विशेष खेती विधि से
Amezing Farming: नमस्कार दोस्तों! आज हम आपको एक ऐसे किसान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनकी कहानी ना सिर्फ प्रेरणादायक है, बल्कि यह यह साबित करती है कि मेहनत और सही दिशा में किया गया काम किसी भी व्यक्ति की जिंदगी बदल सकता है। यह किसान पहले ड्राइवर का काम करता था, लेकिन आज वह हर साल 18 लाख रुपए कमाता है। यह कमाई सिर्फ और सिर्फ एक खास खेती विधि की वजह से है, तो चलिए जानते हैं कि कौन हैं वह किसान और उनका सफर कैसे शुरू हुआ।
कृष्णा नाग का अद्भुत सफर
यह कहानी उड़ीसा के कालाहांडी जिले के कृष्णा नाग की है, जिनका जीवन पहले एक ड्राइवर के रूप में गुजर रहा था। लेकिन उन्होंने खेती के क्षेत्र में बदलाव लाने का निर्णय लिया, और आज वह न सिर्फ खुद सफल किसान बन गए हैं, बल्कि उनके आसपास के कई लोगों की जिंदगी भी बदल दी है। उड़ीसा के इस पिछड़े इलाके से सफलता की ओर बढ़ते हुए, कृष्णा नाग ने कृषि क्षेत्र में संभावनाओं के नए दरवाजे खोले हैं।
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आम के बाग़ीचे से शुरुआत
कृष्णा नाग ने 2006 में एक साहसिक कदम उठाया और अपनी पारिवारिक ज़मीन पर 50 आम के पेड़ लगाए। आम के पेड़ों के फलने-फूलने तक उन्होंने समय का सही उपयोग करते हुए, अपने बगीचे में टमाटर और मिर्च की खेती शुरू की। इसके अलावा, नाग ने जैविक खेती को प्राथमिकता दी, ताकि उनकी खेती प्राकृतिक और टिकाऊ हो।
टमाटर और मिर्च की खेती में सफलता
टमाटर और मिर्च की खेती में मिली शुरुआती सफलता ने कृष्णा नाग को और अधिक खेती में निवेश करने के लिए प्रेरित किया। अपने पहले लाभ से उन्होंने धीरे-धीरे अपनी खेती को बढ़ाया, और आज उनके पास 11 एकड़ ज़मीन है। उन्होंने फलों और सब्जियों के अलावा मछली पालन और मुर्गी पालन भी शुरू किया, जिससे उन्हें पूरे साल एक स्थिर आय प्राप्त होती है। यह विविधीकरण न केवल उनके व्यापार को मजबूत करता है, बल्कि मौसमी उतार-चढ़ाव को भी कम करता है।
जैविक खेती का महत्व
कृष्णा नाग ने पारंपरिक खेती के तरीकों को चुनौती दी और जैविक खेती की दिशा में कदम बढ़ाया। शुरू में उनके परिवार ने उनका विरोध किया, लेकिन उन्होंने इसे महत्व दिया और पूरी तरह से जैविक खेती अपनाई। नाग ने देश के विभिन्न हिस्सों में यात्रा की और कृषि विशेषज्ञों से ज्ञान प्राप्त किया। इसके परिणामस्वरूप, उनके आम के पेड़ हर साल 3000 से अधिक फल देते हैं, और उनकी टमाटर तथा मिर्च की फसल भी शानदार होती है।
जैविक खेती क्या है?
जैविक खेती एक प्राकृतिक खेती प्रणाली है, जिसमें रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता। इस विधि में मिट्टी की उर्वरता और स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने के लिए बायोडायनामिक तत्वों और बायोफर्टिलाइजर्स का प्रयोग किया जाता है। जैविक खेती से उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार होता है, और मिट्टी की उपजाऊ क्षमता भी बढ़ती है।
मछली और मुर्गी पालन: अतिरिक्त आय के स्रोत
कृष्णा नाग ने अपनी ज़मीन पर तालाब खुदवाए और मछली पालन शुरू किया। इसके साथ ही, मुर्गी पालन भी उनकी आय का एक अहम हिस्सा बन गया। मछली और मुर्गी पालन ने उनके व्यापार को और भी मजबूती दी, और उनकी कुल आय में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
मुर्गी और मछली पालन से 7 लाख रुपए की कमाई: कृष्णा नाग का सफलता का राज
कृष्णा नाग, जो पहले एक सामान्य किसान थे, आज मछली और मुर्गी पालन के माध्यम से अपनी आय को सात लाख रुपए तक पहुंचा चुके हैं। उनका कहना है कि पारंपरिक खेती से ज्यादा मुनाफा नहीं मिल रहा था, लेकिन जब उन्होंने अपने दोस्तों से सलाह ली और मुर्गी पालन और मछली पालन की ओर रुख किया, तो उनकी किस्मत ही बदल गई।
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मुर्गी पालन की खास बातें
कृष्णा नाग के मुताबिक, मुर्गी पालन में कई विशेष पहलुओं का ध्यान रखना जरूरी है, क्योंकि मुर्गियां बहुत संवेदनशील होती हैं और उन्हें विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। खासकर सर्दियों में मुर्गियों को गर्म रखने के लिए 6 हीटर और 200 वाट का बल्ब लगाया जाता है। वहीं, गर्मियों में पंखे की व्यवस्था करनी पड़ती है ताकि मुर्गियों को ठंडक मिल सके।
उन्होंने बताया कि एक मुर्गी को तैयार करने में 25 से 30 दिन का समय लगता है, और इस दौरान उन्हें उचित आहार देना पड़ता है। एक मुर्गी को तैयार करने में लगभग 80 रुपए का खर्च आता है, जबकि उसे बाजार में 100 रुपए किलो तक बेचा जा सकता है।
मछली पालन से भी जबरदस्त कमाई
कृष्णा नाग ने मछली पालन में भी सफलता प्राप्त की है। उन्होंने 6 कट्ठे की जमीन पर तीन शेड मुर्गियों के लिए बनाए और एक बीघा ज़मीन पर मछली पालन के लिए तालाब बनवाया। तालाब में विभिन्न प्रकार की मछलियों जैसे रेहू, कातल, मिरगन, और ब्रिगेड का पालन किया जाता है।
मछली पालन के लिए कृष्णा नाग डॉक्टर की सलाह लेते रहते हैं और तालाब में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए नियमित दवाई का छिड़काव करते हैं। उन्होंने बताया कि मछली पालन में भी हर मछली को तैयार करने में करीब 80 रुपए का खर्च आता है। वहीं, फिंगर साइज मछली तैयार करने में लगभग 250 से 300 रुपए तक खर्च हो जाता है।
आखिरकार, एक सफल और विविध व्यवसाय
कृष्णा नाग का मानना है कि मछली और मुर्गी पालन में सही देखभाल और सावधानी से अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। साथ ही, उन्होंने तालाब के किनारे फलदार पौधे भी लगाए हैं, जिससे अतिरिक्त आय का एक और स्रोत प्राप्त हुआ है। उनका कहना है कि मछली और मुर्गी पालन से सालाना 7 लाख रुपए तक की कमाई हो जाती है।
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समुदाय को प्रेरित करना
कृष्णा नाग की सफलता सिर्फ उनके लिए नहीं, बल्कि उनके पूरे समुदाय के लिए एक प्रेरणा बन चुकी है। उन्होंने न केवल अपनी मेहनत से अपना जीवन बदला, बल्कि अपने समुदाय के अन्य लोगों के लिए भी रोजगार के अवसर खोले। उनके इस प्रयास ने स्थानीय सामाजिक-आर्थिक स्थिति को मजबूत किया है और वह लगातार दूसरों को खेती में नवाचार और मेहनत करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
इस कहानी से यह साफ है कि अगर कोई व्यक्ति अपनी मेहनत और सही दिशा में प्रयास करता है, तो वह किसी भी क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। कृष्णा नाग ने अपनी मेहनत और विचारशीलता से यह साबित किया है कि मछली और मुर्गी पालन के साथ-साथ कृषि के अन्य क्षेत्रों में भी सफलता हासिल की जा सकती है।