Soyabin Bhav : सोयाबीन का भाव ₹6000 क्विंटल तक जाएगा? जानिए इस रिपोर्ट में!
सोयाबीन के भाव: किसानों और व्यापारियों की उलझन
Soyabin Bhav : किसान और व्यापारी, दोनों ही वर्तमान में सोयाबीन की कीमतों को लेकर असमंजस में हैं। किसानों ने लागत में बढ़ोतरी के चलते अपनी उपज को बाजार में कम मात्रा में लाया है, इस उम्मीद में कि आगे चलकर दाम बेहतर होंगे। दूसरी ओर, व्यापारियों ने सीजन की शुरुआत में ही ऊंचे भाव पर सोयाबीन का स्टॉक कर लिया था, जिससे वे भी चिंतित हैं।
हालांकि, हाल की स्थिति में थोड़ा सुधार देखा जा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आने वाले समय में दामों में स्थिरता आने की संभावना है, लेकिन यह कब तक और किस स्तर पर पहुंचेगा, इस पर स्पष्टता नहीं है। किसानों का मानना है कि अगर सोयाबीन के दाम 6000 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे रहते हैं, तो उन्हें आर्थिक नुकसान झेलना पड़ेगा।
खाद्य तेल आयात से सोयाबीन की कीमतों पर असर
भारत में खाद्य तेलों के आयात पर हाल के फैसलों ने घरेलू बाजार को हिला दिया है। सरकार द्वारा आयात शुल्क में कमी करने के बाद इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे देशों से सस्ते पाम ऑयल का आयात बढ़ा है। नतीजतन, भारतीय बाजार सस्ते पाम ऑयल से भर गया, जिससे सोयाबीन और अन्य तेलहनी फसलों की कीमतों पर दबाव बढ़ा।
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पिछले महीने पाम ऑयल के आयात में 23% की बढ़ोतरी हुई, और यह ट्रेंड जारी है। पिछले साल देश ने लगभग 93,096 करोड़ रुपये का पाम ऑयल आयात किया था, जबकि इस साल यह आंकड़ा 1 लाख करोड़ रुपये को पार करने की संभावना है। अन्य खाद्य तेलों का आयात भी 71,000 करोड़ रुपये से अधिक का है। इन परिस्थितियों ने भारतीय किसानों और तेल उद्योग को कठिनाई में डाल दिया है।
तेल उद्योग पर संकट के बादल
घरेलू बाजार में सस्ते आयातित तेलों की बढ़ती उपलब्धता ने स्थानीय किसानों और उद्योगों पर भारी प्रभाव डाला है। कीमतों में गिरावट के कारण न केवल किसान नुकसान झेल रहे हैं, बल्कि कई तेल निष्कर्षण इकाइयां भी बंद होने की कगार पर हैं। लुधियाना जैसे औद्योगिक क्षेत्रों में तेल निष्कर्षण मशीन बनाने वाले उद्योगों पर भी इसका असर पड़ा है।
केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर आलोचना हो रही है, क्योंकि सस्ते आयात से विदेशी किसानों को लाभ हो रहा है, जबकि भारतीय किसान और उद्योग संकट में हैं। हालांकि, सरकार ने हाल ही में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाकर स्थिति में सुधार करने का प्रयास किया है।
सोया और अन्य खाद्य तेलों के आयात में बदलाव
आयात शुल्क में वृद्धि के बाद से खाद्य तेलों के बाजार में उतार-चढ़ाव जारी है। जुलाई से नवंबर 2024 के बीच सोयाबीन तेल का आयात 10.01% घटकर 74,385 मीट्रिक टन रह गया, जबकि पाम तेल का आयात 7.13% बढ़कर 2,34,000 मीट्रिक टन हो गया।
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हालांकि, नवंबर में दोनों तेलों के आयात में वृद्धि दर्ज की गई। सोयाबीन तेल का आयात 113.99% बढ़कर 15,045 मीट्रिक टन हो गया, और पाम तेल का आयात 11.69% बढ़कर 2.34 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया। मंडियों में इसका असर स्पष्ट है, जहां सोयाबीन 4300 रुपये प्रति क्विंटल, सरसों निमाड़ी 5900-5950 रुपये प्रति क्विंटल और औसत सरसों 5500-5600 रुपये प्रति क्विंटल के भाव पर बिक रही है।
कैसे बढ़ सकते हैं सोयाबीन के भाव?
दिसंबर के अंत में हुई अप्रत्याशित बारिश और ओलावृष्टि ने उत्तर भारत के कई इलाकों में सरसों की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। खासतौर पर राजस्थान के अलवर, राजगढ़ और आसपास के क्षेत्र इससे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। किसानों का मानना है कि करीब 70% फसल खराब हो चुकी है। सरसों के पौधों में फली बनने का समय था, लेकिन ओले गिरने के कारण पूरी फसल नष्ट हो गई।
हालांकि, सरसों की कीमतें पहले से ही बढ़ रही थीं, लेकिन अब खराब मौसम के कारण इनमें और तेजी आ सकती है। दूसरी ओर, मध्य प्रदेश के मंदसौर, उज्जैन, रतलाम और इंदौर जैसे इलाकों में हुई बारिश ने सोयाबीन की आपूर्ति को प्रभावित किया है। इस बीच, नए साल के उत्सव के कारण होटल और रेस्टोरेंट में खाद्य तेल की मांग बढ़ गई है।
किसानों द्वारा अपनी फसल कम कीमतों पर बेचने से परहेज और प्लांटों में उत्पादन धीमा होने के कारण सोयाबीन तेल की कीमतों में इजाफा होने की संभावना है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोयाबीन की स्थिति
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन की कीमतें मुख्य रूप से चीन की मांग पर निर्भर करती हैं। चीन, जो दुनिया का सबसे बड़ा सोयाबीन आयातक है, हाल ही में अमेरिका से बड़ी मात्रा में सोयाबीन खरीद चुका है। चीन की सरकारी कंपनी सिन्नोग्रेन ने लगभग 5 लाख मीट्रिक टन अमेरिकी सोयाबीन खरीदने का सौदा किया है।
यह सौदा शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) के मार्च वायदा पर 90 सेंट प्रति बुशल और मई वायदा पर 80 सेंट प्रति बुशल के हिसाब से हुआ है। हालांकि, अमेरिका और ब्राजील में सोयाबीन की बंपर पैदावार के चलते दीर्घकालिक स्तर पर कीमतों पर दबाव बना रह सकता है।
सोया प्लांटों में बढ़ी खरीदी
भारतीय बाजार में सोयाबीन तेल की कीमतों में हालिया तेजी के कारण सोया प्लांटों में फसल की खरीदी में बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, स्थानीय मांग में कमी और प्लांटों द्वारा अधिक खरीदी से कीमतों में अत्यधिक वृद्धि की संभावना नहीं है।
विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले समय में सोया डीओसी (डिऑयल्ड केक) की मांग में सुधार जारी रहेगा। पोल्ट्री फार्मों से बढ़ती मांग और प्लांटों द्वारा सक्रिय खरीदारी के चलते सोयाबीन की कीमतों में 200-300 रुपये प्रति क्विंटल तक सुधार हो सकता है।
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क्या 2025 में सोयाबीन के भाव 6000 रुपये तक पहुंचेंगे?
हाल में सोयाबीन की कीमतों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। मलेशिया में पाम तेल की फसल को हुए नुकसान और आगामी रमजान जैसे त्योहारों में खाद्य तेलों की बढ़ती मांग के कारण सोयाबीन तेल की कीमतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
हालांकि, व्यापारियों का मानना है कि 2025 में सोयाबीन के भाव अधिकतम 5300 रुपये प्रति क्विंटल तक ही पहुंच सकते हैं।
क्या जनवरी 2025 में सोयाबीन के भाव बढ़ सकते हैं?
फिलहाल, सोयाबीन के दाम 4000 से 4500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बने हुए हैं। इंदौर और नीमच जैसे क्षेत्रों में प्लांट्स 4375 से 4480 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदारी कर रहे हैं।
सोयाबीन बाजार के जानकारों का कहना है कि जनवरी और फरवरी में आमतौर पर कीमतों में सुधार देखने को मिलता है। ऐसे में आने वाले महीनों में सोयाबीन के भाव में बढ़ोतरी हो सकती है।